शेर-ओ-ग़ज़ल
Thursday, 28 April 2016
रूह से आगे
'धडकनों से रूह से आगे भी जाके देख ले,
जो नहीं देखा किसी ने हम वो मंज़र देख ले"
"जिन पे सदियों से चले ही जा रहे है कारवा
उस पुरानी राह से हम कुछ तो हटकर देख ले"
"सच तो ये है एक आँसू में समंदर है कई,
सच नहीं लगता है तो आँसू बहा कर देख ले।"
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment