शेर-ओ-ग़ज़ल
Thursday, 28 April 2016
ख्वाब
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"मै वो ख्वाब हूँ जिसे ताबीरे ख्वाब भी समझो,
मुझे सवाल भी जानो जवाब भी समझो"
"मै जी रहा हूँ किसी मौजे तहनशी की तरह,
मेरे सुकून को तुम अज्ताराब भी समझो"
मेरे ख़ुलूस को मेरी शिकस्त भी जानो,
मेरी वफ़ा को मेरा अह्तेसाब भी समझो"
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