शेर-ओ-ग़ज़ल
Wednesday, 13 April 2016
मंजिल
"जीते जी किसको भला मिलती है मंजिल प्यार की
रह गयी इस दिल मे हसरत आपके दीदार की"
"आपसे होकर जुदा मै जीते जी मर जाऊँगा
क्या ज़रुरत है भला अब खंजरो तलवार की"
"शौक से कीजियेगा तरके दोस्ती मुझसे मगर
याद आएगी किसी दिन आपको इस यार की"
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment