भीड़ में हमको कई चेहरे मिले पहचान के
असलियत में खुश्क पत्ते थे सभी वो पान के
उसके चुप होंठों पे थे अल्फाज़ पोशीदा कई
सेंकड़ो मतशब थे उसकी इन्च भर मुस्कान के
असलियत में खुश्क पत्ते थे सभी वो पान के
उसके चुप होंठों पे थे अल्फाज़ पोशीदा कई
सेंकड़ो मतशब थे उसकी इन्च भर मुस्कान के
एक लम्बी तीरगी के बाद फिर सूरज उगा
आई दुबली रोशनी हिस्से में रोशनदान के
फिर यहाँ आंखें किसी की खामुशी से घिर गईं
एक चेहरा फिर से जद में आ गया तूफान के
आपकी महफिल में ऐसे लोग अपमानित हुए
सबसे ज़्यादा जो यहाँ हकदार थे सम्मान के
आई दुबली रोशनी हिस्से में रोशनदान के
फिर यहाँ आंखें किसी की खामुशी से घिर गईं
एक चेहरा फिर से जद में आ गया तूफान के
आपकी महफिल में ऐसे लोग अपमानित हुए
सबसे ज़्यादा जो यहाँ हकदार थे सम्मान के
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