एक तक़लीफ़ उमड़ती है मेरे सीने में
अरे बेदर्द आता है क्यूँ आँसू बनकर
आज सँवरी हूं आईने में बस तेरे लिए
आज फिर बिखर जाएगा कजरा बहकर
अरे बेदर्द आता है क्यूँ आँसू बनकर
आज सँवरी हूं आईने में बस तेरे लिए
आज फिर बिखर जाएगा कजरा बहकर
अपने आँचल की घूँघट ओढ़कर
तेरी दुल्हन रोती है राह देखकर
तू न आया है, न तू आएगा
आज फिर बिखर जाएगा कजरा बहकर
कहां रहता है इस बेरहम ज़माने में
मन में आता है, सामने क्यूँ नहीं आता
ओ सलोने तेरी याद में रो-रोकर
आज बिखर जाएगा कजरा बहकर
सोलहवाँ साल बीता है जाने कबके
कई रूत आके गुजरी है दुख देकर
एक नई रात दुख की घिर आई है
आज फिर बिखर जाएगा कजरा बहकर
तेरी दुल्हन रोती है राह देखकर
तू न आया है, न तू आएगा
आज फिर बिखर जाएगा कजरा बहकर
कहां रहता है इस बेरहम ज़माने में
मन में आता है, सामने क्यूँ नहीं आता
ओ सलोने तेरी याद में रो-रोकर
आज बिखर जाएगा कजरा बहकर
सोलहवाँ साल बीता है जाने कबके
कई रूत आके गुजरी है दुख देकर
एक नई रात दुख की घिर आई है
आज फिर बिखर जाएगा कजरा बहकर
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