शेर-ओ-ग़ज़ल
Tuesday, 19 April 2016
खुशामद
व्यर्थ है करना खुशामद जिंदगी की,
काम अपने पाँव ही आते सफ़र में।
आलसी ईश्वर के उठाए भी ना उठेगा,
जो स्वयं गिर जाए अपनी ही नजर में।
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