Wednesday 27 April 2016

सितमगर से दिल को लगाने का मौसम

सितमगर से दिल को लगाने का मौसम
ये आया है खुद को सताने का मौसम
चलो रुख करे अब किनारों की और
के आया है तुफा के आने का मौसम
चलो कोई कश्ती हम किनारे लगाए
फिर आया किसी को बचाने का मौसम
बड़ा गहरा है जिंदगानी का ये दरिया
ये अब है खुद को आजमाने मौसम
बहुत मिलते जुलते रहे दुश्मनों से
के आया है रिश्ते निभाने का मौसम
सितारे जमी पर टहलते है देखो
लो आगया दिखने दिखाने का मौसम
मेरे दोस्त झूठी कसम खा रहे है
गजब ढा रहा है याराने का मौसम
कभी कोई गुल क्या हिजाबों में देखा
कह दो उन्हें है ये खिलने का मौसम
सावन की उलझी घटाओं में उलझा
मुझे भिगना ये है भिगाने का मौसम
नजर से कोई खूब करता इशारे
मुहब्बत में है मुस्कुराने का मौसम
कसम से कहू हाथ दिलपे ये रखकर
न आँखों में होगा ये रुलाने का मौसम
चलाये है तीर ये किसीने यहाँ पर
पता क्या था है उनके निशाने का मौसम

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