Wednesday, 27 April 2016

ओ मेरे मन पंछी

ओ मेरे मन पंछी उड जाओ
जाकर उनको गीत मधुर सुनाओ.
मेरी श्वांसो से उनको स्पंदित कर
चिर मौन अभिलाषा को बतलाओ
उनके सांसो की खुशबुएँ को समेट
मूक हर्दय की भाषा पढ आओ.
व्याकुल मन की प्रप्रतीक्षित नयनों की
आज आकुलता उन्हें बताओ
चुपके से मन बाग में
प्यार के बीज अंकुरित कर आओ.
जाकर उनकी विरही बगिया में
आस संचार का पौध उगा आओ
फिर इंतजार के पुष्प लगा
मौनमुखर भावों की भाषा सुन आओ.

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