Sunday 17 April 2016

जी लेंगे हम भी दे देना हॅस कर एक उदास दुपहरी

जी लेंगे हम भी दे देना हॅस कर एक उदास दुपहरी
पी लेंगे हम भी दे देना भर कर एक गिलास दुपहरी
सूरज को जब ग्रहण लगेगा दिन बैसाखी पर सरकेगा
तुलसी की पूजा कर लेगी रख लेगी उपवास दुपहरी
बादल के पीछे मत जाओ सूरज तुम्हें शपथ है इसकी
तुम बिछड़ोगे तो वियोग में ले लेगी संन्यास दुपहरी
अभी हवा संदेश दे गई अभी अभी ही ज्ञात हुआ है
वषों से रहती है मन ऑगन के इतने पास दुपहरी
तुम को आता देख छिप गई अब जाने के बाद दुखी है
शायद फिर आओगे ऐसा रखती है विश्वास दुपहरी
कौआ बोला है मुंडेर पर शायद प्रेभ पत्र आएगा
दरवाजे पर इन्तज़ार में बैठी है बिन्दास दुपहरी

No comments:

Post a Comment