शेर-ओ-ग़ज़ल
Thursday, 28 April 2016
शिकायत
"अब उससे शिकायत भी तो बेकार लगे है,
हर बोल मेरा जिस को एक तलवार लगे है"
"भाई से यहाँ भाई भी बेज़ार लगे है,
फिर कौन किसी का यहाँ गमख्वार लगे है"
"आजा की ये शब् मुझको डस जाएगी वरना
हर लम्हा तेरी जुदाई में दुशवार लगे है"।
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