शेर-ओ-ग़ज़ल
Wednesday, 13 April 2016
हवाओं
"वो तो खुशबू है हवाओं में बिखर जायेगा,
मसअला फूल का है फूल किधर जायेगा"
"हम तो समझे थे एक ज़ख्म है भर जाएगा
क्या खबर थी कि रगे जा में उतर जाएगा"
"वो हवाओ की तरह खाना बजा फिरता है
एक झोका है जो आएगा गुज़र जाएगा"
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment