शेर-ओ-ग़ज़ल
Saturday, 2 April 2016
तेरा चेहरा कितना सुहाना लगता हैं
तेरा चेहरा कितना सुहाना लगता हैं
तेरे आगे चांद पुराना लगता हैं
तिरछे तिरछे तीर नजर के चलते हैं
सीधा सीधा दिल पे निशाना लगता हैं
आग का क्या हैं पल दो पल में लगती हैं
बुझते बुझते एक ज़माना लगता हैं
सच तो ये हैं फूल का दिल भी छल्ली हैं
हसता चेहरा एक बहाना लगता हैं
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