Monday, 4 April 2016

शराब



"मै नज़र से पी रहा हूँ ये समां बदल न जाए 
न झुकाओ तुम निगाहें कही रात ढल न जाए"

"मेरे अश्क भी है इसमें ये शराब उबल न जाए
मेरा जाम छूने वाले तेरा हाथ जल न जाए" 

"अभी रात कुछ है बाक़ी न उठाओ नकाब साकी
तेरा रिंद गिरते गिरते कही फिर संभल न जाए"

"मेरी ज़िन्दगी के मालिक मेरे दिल पे हाथ रखना 
तेरे आने की ख़ुशी में मेरा दम निकल न जाए" 

"मुझे फूकने से पहले मेरा दिल निकाल लेना 
ये किसी की है अमानत कही साथ जल न जाए"  

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