इबादत
"दिल में अब दर्दे मोहब्बत के सिवा कुछ भी नहीं
ज़िन्दगी मेरी इबादत के सिवा कुछ भी नहीं"
"मै तेरी बारगाहे नाज़ में क्या पेश करूँ
मेरी झोली में मोहब्बत के सिवा कुछ भी नहीं"
"ऐ खुदा मुझसे न ले मेरे गुनाहों का हिसाब
मेरे पास अश्के नदामत के सिवा कुछ भी नहीं"
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