शेर-ओ-ग़ज़ल
Friday, 1 April 2016
मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला
मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला
अगर गले नही मिलता तो हाथ भी न मिला
घरों पे नाम थे, नाम के साथ ओहदे थे
बहुत तलाश किया, कोई आदमी न मिला
तमाम रिश्तों को घर पे छोड आया था
फ़िर उसके बाद मुझे कोई अजनबी न मिला
बहुत अजीब है ये गुरबतों की दूरी भी
वो मेरे साथ रहा और मुझे कभी न मिला
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