Monday, 4 April 2016

अश्क



"ये हुस्ने राज़ मुहब्बत छुपा रहा है कोई 
है अश्क आँखों में और मुस्कुरा रहा है कोई" 

"नज़र नज़र में तजल्ली दिखा रहा है कोई 
नफज नफ़ज पे मुझे याद आ रहा है कोई"

"ये हुस्न ओ इश्क की तस्वीर के है दो मंज़र 
कि  रो रहा है कोई मुस्कुरा रहा है कोई"

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