Tuesday, 5 April 2016

निगाह



"साफ़ ज़ाहिर है निगाहों से कि हम मरते है 
मुँह से कहते हुए ये बात मगर डरते हैं"

"एक तस्वीर-ए - मोहब्बत है जवानी गोया 
जिसमे रंगों की एवज़ खून-ए -जिगर भरते हैं"

"आसमा से कभी देखी न गयी अपनी ख़ुशी 
अब ये हालात हैं कि हम हँसते हुए डरते हैं" 

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