Saturday, 2 April 2016

अपने हाथों की लकीरों में बसा ले मुझको...


अपने हाथों की लकीरों में बसा ले मुझको,
में हूँ तेरा तो नसीब अपना बना ले मुझको;

मुझसे तू पूछने आया है वफ़ा के माने,
ये तेरी सदा-दिलि मार न डाले मुझको;

ख़ुद को में बाँट न डालूं कहीं दामन दामन,
कर दिया तुने अगर मेरे हवाले ख़ुद को;

वादा फिर वादा है में ज़हर भी पी जाऊं कती,
शर्त ये है कोई बाँहों में संभाले मुझको;

No comments:

Post a Comment