ओस में भीगे गुलाबों की सुबह दे देगी,
जिन्दगी !जी ने की कोई भी वजह दे देगी ।
लाएगी फिर से वो मुस्कान मेरे होंठों पर,
मुझको वो झील सी आंखों में जगह दे देगी ।
पास बैठेगी मना लेगी सभी रूठों को,
टूटते रिश्तों के धागों में गिरह दे देगी ।
चाहे कितनी भी हो कमजोर ये बाजी मेरी,
पिटते मोहरों को बचा लेगी वो शह दे देगी ।
देगी वो होंसला उडते हुए परिन्दों को,
छांव देगी, थके पांवों को सतह दे देगी ।
उसकी झोली में सभी कुछ तुम्हें मिल जाएगा,
जो भी तुम मांगोगे हंसते हुए वह दे देगी ।
जिन्दगी !जी ने की कोई भी वजह दे देगी ।
लाएगी फिर से वो मुस्कान मेरे होंठों पर,
मुझको वो झील सी आंखों में जगह दे देगी ।
पास बैठेगी मना लेगी सभी रूठों को,
टूटते रिश्तों के धागों में गिरह दे देगी ।
चाहे कितनी भी हो कमजोर ये बाजी मेरी,
पिटते मोहरों को बचा लेगी वो शह दे देगी ।
देगी वो होंसला उडते हुए परिन्दों को,
छांव देगी, थके पांवों को सतह दे देगी ।
उसकी झोली में सभी कुछ तुम्हें मिल जाएगा,
जो भी तुम मांगोगे हंसते हुए वह दे देगी ।
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