"कभी खामोश बैठोगी कभी कुछ गुन गुनाओगी
मैं उतना याद आऊँगा मुझे जितना भुलाओ गी"
"कोई जब पूंछ बैठेगा ख़ामोशी का सबब तुम से
बहोत समझाना चाहोगी मगर समझा न पाओगी"
"कभी दुनिया मुकम्मल बन के आएगी निगाहों में
कभी मेरी कभी दुनिया की हर एक बात बताओगी"
"कही पर भी रहे हम तो मोहब्बत फिर मोहब्बत है
हमें तुम याद आओगी तुम्हे हम याद आएँगे "
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