Tuesday, 5 April 2016

अपनी यादों में

अपनी यादों में मुझे कभी यूँ ही ढूंढ लेना तुम,
ना मिलूं तो धड़कनों से मेरा पता पूछ लेना तुम,
रहूंगी मौजूद मैं इन हवाओं में हमेशा, फिर भी,
ना दिखूं तो इन्हें अपनी साँसों से छू लेना तुम,
मेरी ग़ज़ल की हर शायरी में रहते हो बस तुम,
अपनी तन्हाइयों के साथ इसे भी सुन लेना तुम,
हकीकत में जाने कभी हमारी मुलाकात हो ना हो,
इसलिए अपने ख्वाबों में मुझको बुन लेना तुम,
यूँ तो ज़िन्दगी की राहों में मिलेंगे कांटे ही कांटे,
मगर मेरे हिस्से के भी फूल चुन लेना तुम…….

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