शेर-ओ-ग़ज़ल
Saturday, 2 April 2016
गुलबदन
"बहारों को चमन याद आ गया है ,
मुझे वो गुलबदन याद आ गया है"
"लचकती शाख ने जब सर उठाया
किसी का बाँकपन याद आ गया है"
"मेरी खामोशियों पर हसने वालों
मुझको वो कमसुखन याद आ गया है"
"तेरी सूरत को जब से देखा है मैंने
उरूजे फिकरो फन याद आ गया है"
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