शेर-ओ-ग़ज़ल
Friday, 1 April 2016
बदला ना अपने आपको
बदला ना अपने आपको जो थे वही रहे
मिलते रहे सभी से मगर अज़नबी रहे
दुनिया ना जीत पाओ तो हारो ना ख़ुद को तुम
थोडी बहुत तो ज़हान में नाराज़गी रहे
अपनी तरहा सभी को किसी की तलाश थी
हम जिसके भी क़रीब रहे दूर ही रहे
गुज़रो जो बाग़ से तो दुआ मांगते चलो
जिसमें खिले है फूल वो डाली हरी रहे
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