शेर-ओ-ग़ज़ल
Friday, 1 April 2016
दिन कुछ ऐसे गुजारता हैं कोई
दिन कुछ ऐसे गुजारता हैं कोई
जैसे एहसान उतारता है कोई
दिल में कुछ यूं संभालता हैं ग़म
जैसे जेवर संभालता हैं कोई
आईना देखकर तसल्ली हुई
हम को इस घर में पहचानता हैं कोई
दूर से गुंजते हैं सन्नाटे
जैसे हम को पुकारता है कोई
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment