शेर-ओ-ग़ज़ल
Tuesday, 5 April 2016
तसव्वुर
"तसव्वुर भी पुराना हो गया है
उसे देखे ज़माना हो गया है "
"ये और बात है की कोई मुन्तजिर न हो
अब शाम हो गयी है तो घर जाना चाहिए"
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