शेर-ओ-ग़ज़ल
Sunday, 3 April 2016
खामोश
"कभी खामोश बैठोगी कभी कुछ गुनगुनाओगी
मै उतना याद आऊंगा मुझे जितना भुलाओगी "
"कोई जब पूछ बैठेगा ख़ामोशी का सबब तुमसे
बहोत समझाना चाहोगी मगर समझा न पाओगी "
"कही पर भी रहे हम तो मोहब्बत फिर मोहब्बत है
तुम्हे हम याद आएँगे हमें तुम याद आओगी "
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment