मेरी बर्बादी किस हद पे उतर आई है
बेरहम याद है और रात ये हरजाई है
आग इक हमने इस सीने में सुलगाई है
दूसरी आग भी जमाने ने अब लगाई है
बेरहम याद है और रात ये हरजाई है
आग इक हमने इस सीने में सुलगाई है
दूसरी आग भी जमाने ने अब लगाई है
कई बरसों से हम तुमसे मिले ही नहीं
फिर भी तुम पास हो, ये कैसी जुदाई है
हमने उसको ही नजाकत से अपनाया है
वो कली जो किसी गुलशन में मुरझाई है
फिर भी तुम पास हो, ये कैसी जुदाई है
हमने उसको ही नजाकत से अपनाया है
वो कली जो किसी गुलशन में मुरझाई है
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