मेरे दिल के समन्दर में कभी उतर कर देखा होता,
कभी प्यार के दो बोल बोलकर ही देखा.....होता.
मेरी वफाओं को मेरी नजर से देखा ही नही,
तुम कभी मुझ से दूर जाकर ही सोचा होता.
इश्क व मोहब्बत का सागर है ...अथाह,
कभी तुम इसमें उतर क़र ही देखा होता.
प्यार का मतलब जानने से कुछ पहले,
मेरे साथ दो कदम चल के ही देखा होता.
मेरे गम को अब तुम क्या महसूस करोगे,
मेरे दिल की बगिया में आ क़र ही देखा होता.
क्या पता था हम सिर्फ मजाक ही है उनके लिए,
मीठी जुबा से हकीकत ही बयाँ क़र दिया.. होता.
कभी प्यार के दो बोल बोलकर ही देखा.....होता.
मेरी वफाओं को मेरी नजर से देखा ही नही,
तुम कभी मुझ से दूर जाकर ही सोचा होता.
इश्क व मोहब्बत का सागर है ...अथाह,
कभी तुम इसमें उतर क़र ही देखा होता.
प्यार का मतलब जानने से कुछ पहले,
मेरे साथ दो कदम चल के ही देखा होता.
मेरे गम को अब तुम क्या महसूस करोगे,
मेरे दिल की बगिया में आ क़र ही देखा होता.
क्या पता था हम सिर्फ मजाक ही है उनके लिए,
मीठी जुबा से हकीकत ही बयाँ क़र दिया.. होता.
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