महकते जिस्म की खुशबुए चुरा ले जाऊ।
तेरी अमानते महफूज रख न पाउँगा,
दुबारा लौट के आने का वादा न कर पाउँगा।
बला के शोर है तूफ़ान आ गया शायद,
कहाँ का वक्त ऐ सफर खुद को ही बचा ले जाऊ।
कहना है दरिया का यह शर्त हार जायेगा,
जो एक दिन में उसे साथ बहा ले जाऊ।
अभी और न जाने कहाँ कहाँ भटकु,
कभी बहाया था दरिया में जो दिया ले जाऊ।
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