Tuesday 29 March 2016

तेरा गम देख के रोता ये जमाना होगा

मेरे हंसने से तड़पता ये जमाना होगा
तेरा गम देख के रोता ये जमाना होगा
इस मुहब्बत में मंजिल जो पा न सके
उनका दुनिया में फिर कैसे ठिकाना होगा
ऐ बहारों मुझे तू फूल अभी मत देना
इतना तन्हा हूं कि कांटों से निभाना होगा
मेरे अपने आज घर पे आने वाले हैं
खुशी बिखरी है यहां, उनको दिखाना होगा

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