अंतत: बन
ही गया वो
बेशरम
नाम कमाने
लगा है वो
बेशरम
सिंहासन
पर बैठ कर
त्याग के
सब को
प्रवचन देता वो बेशरम
पाँच
वर्षों में
ढेरों तब्दीलियों
के
सब्ज
बाग़ दिखाता वो बेशरम
अरसे से टूटा नहीं
अमन चैन
किस
खयाल में है वो बेशरम
फटे
कपड़े पहन
रखे हैं ने
नए फैशन
में बना वो
बेशरम
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