राजा नए
हुए हैं गूजर
हो या ददुआ
मानव या
तो मरा पड़ा
या है बंधुवा
जाति-धर्म
के समीकरणों
में उलझा
मेरे
देश का नेता
हो गया है
भड़ुआ
उस एक
पागल की सच्ची
बातों को
पीना तो
होगा लगे भले
ही कड़ुआ
अवाम का
तो होना था ये
हाल, पर
ये क़ौम
किस लिए हो गई
है रंडुवा
एक
अकेला भी
क्या कर लेगा
इसीलिए वो भी खाता
बैठा है लड़ुवा
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