टूटे रिश्ते को जोड़ने की फरियाद करती हो
क्यों अपना वक्त फिर से बर्बाद करती हो
इतनी दूर चला जाय कि वो वापस नहीं लौटे
आशिक को इस तरह क्यों आजाद करती हो
तेरी खामोशी ने जिसको खत्म कर दिया था
उस कहानी पर क्यों अब तुम बात करती हो
हम दोनों के रहगुजर अब अलग हो चुके हैं
मंजिल जो मिट गई उसे क्यों याद करती हो
क्यों अपना वक्त फिर से बर्बाद करती हो
इतनी दूर चला जाय कि वो वापस नहीं लौटे
आशिक को इस तरह क्यों आजाद करती हो
तेरी खामोशी ने जिसको खत्म कर दिया था
उस कहानी पर क्यों अब तुम बात करती हो
हम दोनों के रहगुजर अब अलग हो चुके हैं
मंजिल जो मिट गई उसे क्यों याद करती हो
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