बढ़ती
जा रही हैं
मुश्किलों पे
मुश्किल
इस दौर
में बेदाग बने
रहना मुश्किल
तमाम
परिभाषाएँ
बदल गईं
इन दिनों
दाग को
अब दाग कहना
है मुश्किल
गर्व
अभिमान की ही
तो बातें हैं
दाग
जाने
क्यों कबीर को
हुई थी
मुश्किल
दागों को मिटा सकते
हैं बड़े दागों
से
दाग
मिटाना अब कोई
नहीं मुश्किल
जब लगाए
खुद अपने पे
दाग
जीना
सरल हुआ उसका
बड़ा मुश्किल
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