आप मेरे निशाँ ढूँढ़ते हो
मैं यहाँ हूँ तुम कहाँ ढूँढ़ते हो ।।
दो लम्हा बात कर लें गनीमत ।।
आप अहले जुबाँ ढूँढ़ते हो ।।
मैं यहाँ हूँ तुम कहाँ ढूँढ़ते हो ।।
दो लम्हा बात कर लें गनीमत ।।
आप अहले जुबाँ ढूँढ़ते हो ।।
कट रहा है सफर जिंदगी का ।।
ठोकरें खामखाँ ढूँढ़ते हो ।।
आप अपनी तक़दीर छुपा कर ।।
पाँव में आसमाँ ढूँढ़ते हो ।।
आदमी को खुदा मान लेते ।।
ये क्या अब धुआँ ढूँढ़ते हो ।।
ठोकरें खामखाँ ढूँढ़ते हो ।।
आप अपनी तक़दीर छुपा कर ।।
पाँव में आसमाँ ढूँढ़ते हो ।।
आदमी को खुदा मान लेते ।।
ये क्या अब धुआँ ढूँढ़ते हो ।।
No comments:
Post a Comment