Tuesday 29 March 2016

मौत यूं भी तेरे हाथों लिखी है जालिम

जानेजां हूं मैं अब तेरा गुनहगार सही
ले तू खंजर और कर दे आर-पार सही

मौत यूं भी तेरे हाथों लिखी है जालिम
जो लिखी है उसे तू पढ़ ले एक बार सही

सामने तुम जो रहोगी तो मर न पाऊंगा
चाहे खंजर ये चुभाओगी कई बार सही

जानता हूं कि ये सजा भी न दे पाओगी
आ भी जाऊं तेरे दर पे मैं बार-बार सही

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