जिंदगी के सफर में आँखे मुँदे जीये......जा रहे है
जैसे कट जाये सफर काटे...................जा रहे है
ये भी आदत नहीं की बरमला हो मेरे.....रंजो गम
खुदी के जब्त ए होंसला हम जीये.......जा रहे है
जैसे कट जाये सफर काटे...................जा रहे है
ये भी आदत नहीं की बरमला हो मेरे.....रंजो गम
खुदी के जब्त ए होंसला हम जीये.......जा रहे है
जिंदगी भर गम के हरे दाने चुगे है..............हमने
दाम ए सैद में हम बरहम उलझे जा..........रहे है
समंदर के मरक़ज पर डगमगा रहा है सफ़ीना मेरा
समंदर की कैफ़ियत से हम लडे...........जा रहे है
जिंदगी की हसीन गलियो से गुजर..........चुका हूँ मैं
अब दश्त ए वीरानो में जिंदगी के दिन गुजार रहे है
अव्वली चाँद हुआ करते थे हम कभी अपनी कायनात के
टूट कर मुरादी तारो की तरहा किसी शाने में बिखरे जा रहे है
जिंदगी की धूप ढल रहीं है शम्स भी सिंदूरी हो रहा है
अगरचे सिंदूरी सहरे का मुद्दआ लिए जीये जा रहे है
दाम ए सैद में हम बरहम उलझे जा..........रहे है
समंदर के मरक़ज पर डगमगा रहा है सफ़ीना मेरा
समंदर की कैफ़ियत से हम लडे...........जा रहे है
जिंदगी की हसीन गलियो से गुजर..........चुका हूँ मैं
अब दश्त ए वीरानो में जिंदगी के दिन गुजार रहे है
अव्वली चाँद हुआ करते थे हम कभी अपनी कायनात के
टूट कर मुरादी तारो की तरहा किसी शाने में बिखरे जा रहे है
जिंदगी की धूप ढल रहीं है शम्स भी सिंदूरी हो रहा है
अगरचे सिंदूरी सहरे का मुद्दआ लिए जीये जा रहे है
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