नहीं
कयास कहाँ कहाँ
हैं मिलावटें
मुस्कराहटों में मिलती
हैं मिलावटें
उनकी हकीकतों
का हो क्या गुमाँ
चाल में उनने भर ली
हैं मिलावटें
कोई और
शख़्स था वो
मेरा दोस्त
ढूंढे से भी नहीं
मिलती हैं
मिलावटें
अपना
भ्रम अब टूटे
तो किस तरह
असल की
पहचान बनी हैं
मिलावटें
आसान हो
गया है
जीवन
अब अपनाई
उसने भी हैं
मिलावटें
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