कांटों के अंजुमन में खिलके बड़े हुए
गुलाब खूने-दिल के रंग में रंगे हुए
मौसम की सर्दियों से कैसे बचें हम
जब आग ही दामन में पड़े हैं बुझे हुए
फूल तो मुरझा के गिरते ही हैं लेकिन
तितली को भी देखा था गम में मरे हुए
इतने भी बुरे दिन अभी आए नहीं मेरे
कि फिर से खरीदें हम सामान बिके हुए
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