शेर-ओ-ग़ज़ल
Wednesday, 23 March 2016
समग्र मुल्क फरार है
समग्र मुल्क फरार है
जिस्म है
जाँ
फरार है
अवाम
बैठी
मुँह
खोले
और हाकिम फरार है
क़ैदी है जेल में लेकिन
वहाँ सिपाही फरार है
देखो
दुनिया दीवानी
जिए
वही जो फरार है
सोचे है बहुत पर
उसका कर्म फरार है
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