मेरी तन्हाई को गम से आबाद कर गयातेरा इश्क जो मुझको बरबाद कर गया घेरती हैं मुझको जो तेरी हसीं जुल्फें अंधेरों में दिल तेरा अहसास कर गया ऐ अजनबी किस ओर ले चली हो मुझे ये आवारगी तो मुझको खराब कर गया तेरे चेहरे को ख्वाबों में निहारता हूं मैं मुझे चैन से महरूम ये शबाब कर गया
No comments:
Post a Comment