वक्त आने दो हकीकत भी बयां कर दूंगा
क्या छुपाना है तुमसे ओ मेरे दिलबर
अभी मसरूफ हो तुम अपनी ही उलझन में
मेरे जज़्बात को कहीं तुम न समझ लो पत्थर
राज-ए-मुहब्बत इज़हार के काबिल नहीं होता
दर्द-ए-खामोशी पढ़ लो तुम मेरी सूरत देखकर
इश्क की राह में लाकर तुझे परेशां क्यूं करूं
तेरी खुशी के लिए हम रो रहे हैं कहीं छुपकर
कैसे इज़हार करें, बड़ा डर लगता है मुझको
कहीं ठुकरा न दो तुम नादां की हरकत जानकर
क्या छुपाना है तुमसे ओ मेरे दिलबर
अभी मसरूफ हो तुम अपनी ही उलझन में
मेरे जज़्बात को कहीं तुम न समझ लो पत्थर
राज-ए-मुहब्बत इज़हार के काबिल नहीं होता
दर्द-ए-खामोशी पढ़ लो तुम मेरी सूरत देखकर
इश्क की राह में लाकर तुझे परेशां क्यूं करूं
तेरी खुशी के लिए हम रो रहे हैं कहीं छुपकर
कैसे इज़हार करें, बड़ा डर लगता है मुझको
कहीं ठुकरा न दो तुम नादां की हरकत जानकर
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