गजब है दिन गजब की रात अभी बाकी है
मयखाने में थोड़ी सौगात अभी बाकी है
आदमी -आदमी क्या है कुछ तो सोचो
इंसानियत की इंतहा होना अभी बाकी है
बहुत घमंड करते है हम थोड़े से धन पर
धन[कृपा] की बरसात होना अभी बाकी है
रौशनी कब गुम हो जाय नहीं पता
चिरागों को रौशनी देना अभी बाकी है
कुछ तो छोड़ रहेश इस महफ़िल में
महफ़िल का शबाब में होना अभी बाकी है
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