बरसात तो हुई मगर सावन नहीं आया
अबके बरस भी लौटके साजन नहीं आया
मेरी आंखों में छुपा है तेरा ही उजाला
दिल में रहा चांद, मेरे आंगन नहीं आया
तुमसे जो मुहब्बत की तो दुनिया भी छोड़ दी
और तू भी कभी थामने दामन नहीं आया
मेरी मौत भी बेबस है आके तेरे दर पे
ये जान कह रही है कि जानम नहीं आया
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