Friday, 18 March 2016

हर दुःख सहने की आदत हो जाती है

हर दुःख सहने की आदत हो जाती है,
अरमानों से जब नफ़रत हो जाती है.
आ जाते हो तुम जब मुझमें रहने को,
मेरी हर पूरी मन्नत हो जाती है.
पत्ते जब पेड़ों से बातें करते हैं,
जंगल की दुगनी क़ीमत हो जाती है.
आईना जब तुम बन जाते हो मेरा,
ख़ुद से मिलने की हिम्मत हो जाती है.
खंडर से जब पंछी मिलने आते हैं,
वीरानों की भी इज़्ज़त हो जाती है.
नेकी का जब हुस्न संवारा जाता है,
सूरज जैसे ही सीरत हो जाती है.
जब मेरे अहसास इबादत करते हैं,
दिल कि दुनिया तब जन्नत हो जाती है.

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