Saturday, 26 March 2016

इस शहर में तेरे होने के निशान खोजता हूं

तुम हो यहीं पे कहीं, तेरा नाम सोचता हूं
इस शहर में तेरे होने के निशान खोजता हूं
इन गलियों से गुजरते हुए मेरी जानेमन अक्सर
तेरे कदमों की आहट सुन वो मकान खोजता हूं
तेरे खयालों से खिंचकर यूं बेखबर सा चलता
अपने इश्क का वो दिलकश मकाम खोजता हूं
मेरी तलाश देखकर कहते हैं ये दुनिया वाले
अपनी मौत का मैं जीते जी सामान खोजता हूं

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