जिंदगी की हर मंजिल मुकद्दर की कैद में
आज भी है मेरा साहिल समंदर की कैद में
कदम कदम पर चुभकर नश्तर ने ये कहा
दर्द मिलता है इश्क के रहगुजर की कैद में
जिस हसीं को देखकर गुम हो गया था मैं
खोया है तबसे दिल उसी मंजर की कैद में
रोते हुए बादल को है सदियों से ये खबर
जलती हुई चांदनी है एक पत्थर की कैद में
आज भी है मेरा साहिल समंदर की कैद में
कदम कदम पर चुभकर नश्तर ने ये कहा
दर्द मिलता है इश्क के रहगुजर की कैद में
जिस हसीं को देखकर गुम हो गया था मैं
खोया है तबसे दिल उसी मंजर की कैद में
रोते हुए बादल को है सदियों से ये खबर
जलती हुई चांदनी है एक पत्थर की कैद में
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