हालात ही कुछ ऐसे हैं, तो आंसू क्यूं न आए
जिसके खयालात में हम थे, वो अब तक न आए
रोने गए सागर किनारे, साहिल पे ही बैठ गए
ये सोचते डूब गए कि पानी सर तक न आए
मुझसे वो खफा है और दिल मुझसे खफा है
खंजर चुभे हैं दोनों तरफ से पर आह तक न आए
सबसे जुदा है मेरा गम, फूल की तरह नाजुक है
इतने जतन से संभाला है कि मुस्कान तक न आए
जिसके खयालात में हम थे, वो अब तक न आए
रोने गए सागर किनारे, साहिल पे ही बैठ गए
ये सोचते डूब गए कि पानी सर तक न आए
मुझसे वो खफा है और दिल मुझसे खफा है
खंजर चुभे हैं दोनों तरफ से पर आह तक न आए
सबसे जुदा है मेरा गम, फूल की तरह नाजुक है
इतने जतन से संभाला है कि मुस्कान तक न आए
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