हम हैं कहीं दूर बैठे तेरी याद में तन्हा
मगर दर्द के सिवा मेरे दिल को क्या हासिल
कितनी बार गुजर गई तुम मेरे करीब से
तेरी परछाई के सिवा आईने को क्या हासिल
ये दिल इतना बेबस है, कुछ कह नहीं सकता
आलमे-खामोशी में आंसुओं को क्या हासिल
दूर हो इतनी फिर भी तेरे आने का शुक्रिया
याद बनके सही, मुझे इतना तो है हासिल
मगर दर्द के सिवा मेरे दिल को क्या हासिल
कितनी बार गुजर गई तुम मेरे करीब से
तेरी परछाई के सिवा आईने को क्या हासिल
ये दिल इतना बेबस है, कुछ कह नहीं सकता
आलमे-खामोशी में आंसुओं को क्या हासिल
दूर हो इतनी फिर भी तेरे आने का शुक्रिया
याद बनके सही, मुझे इतना तो है हासिल
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