Wednesday, 23 March 2016

धर्म की कोई दुकान खोल लीजिए

धर्म की कोई दुकान खोल लीजिए
सियासत के सामान मोल लीजिए

सफलता के नए पैमानों में लोगों
थोड़े से झूठे मुस्कान बोल लीजिए

उस जहाँ की खरीदारी से पहले
अपने यहाँ के मकान तोल लीजिए

रौशनी दिखाने वाले दलालों के
पहले उनके जान पोल लीजिए

गाता है सुधार का कोई राग
अब आप भी तान ढोल लीजिए

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