धर्म की
कोई दुकान खोल
लीजिए
सियासत के सामान मोल लीजिए
सफलता के नए पैमानों में लोगों
थोड़े से झूठे मुस्कान बोल लीजिए
उस जहाँ की खरीदारी से पहले
अपने यहाँ के मकान तोल लीजिए
रौशनी दिखाने वाले दलालों के
पहले उनके जान पोल लीजिए
गाता है सुधार का कोई राग
अब आप भी तान ढोल लीजिए
सियासत के सामान मोल लीजिए
सफलता के नए पैमानों में लोगों
थोड़े से झूठे मुस्कान बोल लीजिए
उस जहाँ की खरीदारी से पहले
अपने यहाँ के मकान तोल लीजिए
रौशनी दिखाने वाले दलालों के
पहले उनके जान पोल लीजिए
गाता है सुधार का कोई राग
अब आप भी तान ढोल लीजिए
No comments:
Post a Comment